शिक्षक दिवस पर विशेष कहानी- बंद पड़े स्कूल को महिला शिक्षिका ने संवारा, आज उसी स्कूल में काफी नामांकन, मुलभुत सुविधाएँ भी निजी खर्चे से दी
शिक्षक दिवस पर विशेष कहानी- बंद पड़े स्कूल को महिला शिक्षिका ने संवारा, आज उसी स्कूल में काफी नामांकन, मुलभुत सुविधाएँ भी निजी खर्चे से दी
आज हम बात करते है एक ऐसी महिला शिक्षिका कि जो अपने अटूट समर्पण और लगन से एक बंद पड़े स्कूल को खोल कर भामाशाह सहित अपने निजी खर्चे से पूरी स्कूल को संवारा है। बालोतरा के वार्ड 17 रा प्रा वि में शिक्षिका रेणु चौधरी के पोस्टिंग के वक्त स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हालत में था, शिक्षिका रेनू की जिद्द ने स्कूल की तस्वीर को बदल दिया है। स्कूल भवन की मरम्मत, शौचालय बनवाया, लाइट कनेक्शन, नल कनेक्शन करवाया। वहीं कुछ भामाशाह के सहयोग से स्कूल में छत पंखे लगवाए। स्कूल में पेंट करवाकर स्कूल भवन को निखार दिया है। मुलभुत सुविधाएं पूरी करने के लिए रेणु ने अपने निजी रूपये खर्च किये।
आज रेणु की मेहनत से दो साल में काफी बच्चों का नामांकन करवाया गया है। रेणु की लगन और मेहनत से बस्ती के बच्चे शिक्षा के प्रति काफी जागरूक हुए। रेणु के इस कार्य की लोगों ने सराहना की है। उन्होंने कहा कि रेणु एक सच्ची शिक्षक हैं। उन्होंने बस्ती के बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया है। जिनका दो साल पहले न एडमिशन था, न ही बच्चे स्कूल जाने को तैयार थे। रेणु चौधरी ने लगातार प्रयास कर बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलवाया और परिजनों को पढाई की जिम्मेदारी सौंपी।
रेणु ने कहा कि वह चाहती हैं कि बच्चे पढ़ लिखकर अपने जीवन में आगे बढ़ें। मैं उन्हें अच्छी शिक्षा देना चाहती हूं।
शिक्षक दिवस पर रेणु की कहानी एक प्रेरणा है। यह दिखाता है कि एक शिक्षिका का समर्पण और लगन बच्चों के जीवन को बदल सकती है।
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