बालोतरा। विद्यालय प्रवक्ता अयूब के सिलावट ने बताया कि शांति निकेतन विद्यालय के विद्यार्थी ऐतिहासिक घटनाक्रम चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के गवाह बने l चंद्रयान-3 की सफलता में जीवन का सबसे सुंदर संदेश छिपा है l "असफलता की सीढ़ी पर चलकर ही सफलता मिलती है" असफलता से निराश होने की नहीं, सीखने की जरूरत है। चार वर्ष से भी कम समय में चंद्रयान-2 की कमियां सुधारकर इसरो ने भारत का परचम विश्व में लहरा दिया।
विद्यालय प्राचार्या सुधा मदान ने विद्यार्थियों को बताया की यह उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों की है। जितनी बड़ी सफलता हमें मिलने जा रही है। पूरी दुनिया का ध्यान इस तरफ है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे भी इस उपलब्धि को देखें। मौजूदा समय में भारत एक उभरती हुई शक्ति है और तमाम बच्चों के मन में भी यह भाव जागना चाहिए। व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि सब कुछ आत्मविश्वास पर निर्भर करता है और हम जरूर इस उपलब्धि को हासिल करेंगे l चंद्रयान-3 के मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के चलने का प्रदर्शन करना और इन-सीटू यानि चांद की सतह पर ही वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है। मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं, जैसे कि लेजर और आरएफ-आधारित अल्टीमीटर, वेलोसीमीटर, प्रोपल्शन सिस्टम, आदि। ऐसी उन्नत तकनीकों को पृथ्वी की स्थितियों में सफलतापूर्वक प्रदर्शित करने के लिए, कई लैंडर विशेष परीक्षण, जैसे इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट, इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट और लैंडर लेग मैकेनिज्म प्रदर्शन परीक्षण की योजना बनाई गई है और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।
एनआर चौधरी ने अपने उद्बोधन में बताया कि चंद्रयान-3 के माध्यम से, भारत का लक्ष्य अपनी तकनीकी कौशल, वैज्ञानिक क्षमताओं और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है। यदि चंद्रयान-3 कि सफलता अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा। यह मिशन युवा पीढ़ी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
साइंस डिपार्टमेंट के फिजिक्स लेक्चर मुस्कान सामरिया ने वीडियो सत्र समाप्ति पर विद्यार्थियों को अपने व्याख्यान में बताया कि चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक प्रयोगों से चंद्रमा के बारे में नई जानकारी प्राप्त होगी, जैसे कि चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति के बारे में l चंद्रमा की सतह और उसके संरचना के बारे में l चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के बारे में l चंद्रमा के वायुमंडल के बारे में l
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के वीडियो सत्र समाप्त होने के बाद विद्यार्थियों में कक्षा 12वीं के साइंस के विद्यार्थी अर्जुन आजाद ने प्रश्नोत्तर सत्र में प्रश्न पूछा कि चंद्रयान-3 कैसे काम करेगा? जिसका फिजिक्स लेक्चर मुस्कान सामरिया ने विद्यार्थियों को बताया की चंद्रयान-3 एक मल्टी-पार्ट मिशन है, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर जो की चंद्रमा की सतह पर उतारा गया और एक रोवर शामिल है, लैंडर रोवर को छोड़कर l रोवर चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा l ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और चंद्रमा की सतह और उसके वातावरण का अध्ययन करेगा। विक्रम लैंडर जो 1752 किलोग्राम भारी है और 4.5 मीटर लंबा है चंद्रमा की सतह पर उतारा गया और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा l चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के वीडियो सत्र में कक्षा 8वीं से कक्षा 12वीं तक 350 विद्यार्थी ऐतिहासिक पल के साक्षी बने l
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